ख्वाबों की ताबीर

सुना है उसके शहर की ...
बात बड़ी निराली है ,
सुना है ढलते सूरज ने ...
कई दास्ताँ कह डाली है ,
सुना है जुगनुओं ने ...
कई बारात निकाली है ,
सुना है हर रात वहां ...
ईद और दिवाली है ,
सुना है अल्फ़ाज़ लबों से ...
फूलों की तरह झरते हैं ,
सुना है उसके शहर में
पत्ते भी गले मिलते हैं ,
अब उसके शहर में जाएँ
तो क्या पूछकर जाएँ ?
कहाँ , कैसे गुजारेंगें रात ...
ये बात किस - किसको बताये ,
चलो सितारों आज ही सफर पे निकलते हैं ,
जहन में कैद ख़्वाब की ताबीर करके देखते हैं ।
सुना है लोग उसे जी भरके देखते है ,
हम भी उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं ।