मौसम

Photo: मौसम 
 
फिर जवां होगी  , नई बयार 
पेड़ - पौधों से होकर अंगीकार 
नई कोंपले सर उठायेंगी 
नया किरदार फिर निभाएंगी 
पतझड़ दिल दुखायेगा 
पेड़ों से पत्ते उड़ा ले जायेगा 
हवा भी करतब दिखायेगी 
टूटे - तिनकों को बिखरा जाएगी  
ये नित नया रंग बदलता मौसम 
धुल - मिटटी में सनकर
धरा के सीने को चीरकर  
बारिश की बूंदों से प्यास बुझाकर 
सूरज की रौशनी में तपकर 
इंसा की भूख है मिटाता ,
इंसा का पेट है भर जाता |

फिर जवां होगी , नई बयार 
पेड़ - पौधों से होकर अंगीकार 
नई कोंपले सर उठायेंगी 
नया किरदार फिर निभाएंगी
पतझड़ दिल दुखायेगा
पेड़ों से पत्ते उड़ा ले जायेगा
हवा भी करतब दिखायेगा 
टूटे - तिनकों को बिखरा जाएगा
ये नित नया रंग बदलता मौसम
धुल - मिटटी में सनकर
धरा के सीने को चीरकर सर उठाएगा
बारिश की बूंदों से प्यास बुझाएगा
सूरज की रौशनी में तपकर ...
इंसा की प्यास भी मिटाएगा
इंसा का पेट भरता जायेगा |

सफ़र




किस कदर दोहरी संस्कृति है ये
जहां तात्कालिक लाभ हो
वहां हम आधुनिक ...
वैसे पूरी मनोरचना में पुरातन
क्या तुम्हे नहीं लगता ?
हाँ कुछ ऐसे ही तो
जीवन बसर करते हैं हम लोग
सत्य को खोजने के लिए हमने
सुविधापरस्ती से सम्बन्ध बनाया है
हमारी मूल समस्या यही है
सत्य की खोज ...
पर न जाने उस सफर का आरम्भ
कब होगा ?
अब तक तो पुराने और नये के बीच में
एक दंद्न्द भर है
न पुराना पूरा और अब भी अधुरा
सफर जारी है ...
एक खुबसूरत मंजिल की तलाश को लेकर |