वो एक पगली

Photo: वो एक पगली 

वो दिन भर बातें करती थी ... 
कुछ चुपके - चुपके कहती थी |
मेरी सांसों में भी अक्सर ...
उसकी भीनी सी खुशबु मिलती थी |
आने वाली हर आहट ...
वक़्त - बेवक्त जगा कर जाती थी |
वो दूर बहुत दूर रहकर भी 
अहसास जगा फिर जाती थी |
दिन रात वो ख्वाब सजाती थी ...
मुझसे कहने को घबराती थी |
वो जान से मुझको प्यारी थी ...
पर मुझसे वो कतराती थी |
न वक़्त कभी ऐसा आया ...
मैं उससे न फिर मिल पाया |
वो साया बनकर , मेरे साथ...
दिन - रात सफर में रहती थी | 
आँखे अब जब नम होती है ...
उसकी यादें संग होती है |
वो पगली मेरे ख्वाबों की ...
अक्सर शहजादी होती थी |

वो दिन - भर बातें करती थी ... 
कुछ चुपके - चुपके कहती थी |
मेरी सांसों में हरपल उसकी 
भीनी सी खुशबु रहती थी |
आने वाली ... हर आहट ...
उसकी याद दिलाती थी |
वो दुरी हमसे रखकर भी
अहसास जगाकर जाती थी |
दिन - रात वो ख्वाब सजाती थी ...
बस कहने से घबराती थी |
वो जान से मुझको प्यारी थी ...
पर मुझसे वो कतराती थी |
न वक़्त कभी ऐसा आया ...
मैं उससे न था  मिल पाया |
वो साया बनकर , साथ मेरे ...
दिन - रात सफर में रहती थी |
आँखे जब भी नम होती थी  ...
उसकी यादें संग होती थी  |
वो पगली मेरे ख्वाबों की ...
अक्सर शहजादी होती थी  |

तब से अब तक





कैसे पहचानती ?
बहुत लम्बा अरसा बीत चूका 
जिन्दगी में कई पढाव आये 
कुछ अनसुलझे सवाल थे 
जिन्हें सुलझाने में ...
वक्त न जाने कब कहाँ फिसल गया 
हम राह में उड़ते धुल कणों को देखते रह गये 
पर कहते हैं न जिन्दगी करवट लेती है 
और हम फिर उन्ही से आकर टकरा जाते हैं
वक्त बेशक हमें कितनी भी दूर उड़ा ले जाये
पर यादों के वो सतरंगी सपने
कहाँ अपना हौंसला खोते हैं ,
उन्हें अब भी तलाश रहती है
उन अपनों की उन सपनों की ,
वक्त उसे तब अपना न सका था
पर आस ने उनसे नाता जोड़ा था
तब से अब तक |