दिल



ये ख़ामोशी का मंजर 
और ये तडपता दिल |
राह में दूर तल्ख़ अब 
किसे खोजता है दिल |
छोटे - छोटे शहरों की
सुनसान डगर में ,
न कोई था , न कोई है ,
फिर क्यु परेशान है ये दिल |
सावन में भीगे हुए
वर्क में लिखे वो ज़ज्बात
जहन में बार - बार क्यु
दस्तक दे रहा है ये दिल |
सुनी आँखों में रोज
एक सपना सजाकर ,
उसे बेदर्दी से क्यु तोड़ देता है ये दिल |
आ टूटे सपनो की
एक किताब बनाएँ फिर देखें
अब तक कितनी बार टुटा है ये दिल |