एक दस्तक जरुरी



गंगा का किनारा
दूर क्षितिज में छुपता सूरज
शंख - घंटियों की ध्वनि
हाँ यही तो है हमारा हिन्दोस्तान
और वही दूसरी तरफ ...
कुछ घरों में फांकों की नौबत
घर से बहार जान की कीमत
हर निगाह निगलने को बैचेन
हर कदम पर भाप बनकर उड़ते होंसले
कहीं शिकस्त इरादों से सुलगती जिन्दगी
बड़े - बड़े निर्माण में योगदान बांटता
सफलता की सिडीयों में आगे - आगे दौड़ता
एक तरफ ऊँचाइयों को छु रहा भारत
और दूसरी तरफ ...
अपनी जड़ों को कमजोर कर रहा भारत |