नारी अबला नहीं



तेरी पहचान को लोग , नाम देने लगे हैं |
तेरे लहराते आँचल को , सलाम देने लगे हैं |
तेरे मुस्कुराने से ही तो , मुस्कुरानें लगी है हर शय |
तेरे जोश को देखकर , रिश्तों में निखर आने लगे हैं |
जब तू कमर कसती है , तो थम जाती है दुनिया |
तेरे सजदों के आगे अब , दुनिया झुकने लगी है |
तेरे नाम से ही अब नया इतिहास , रचा जायेगा |
पहले कहते थे ....  अबला जीवन तेरी यही कहानी |
अब आग से भी परिचय सभी का हो जायेगा |
स्वर्ण अक्षरों से हर उपलब्धि में ,
तेरा नाम लिखा जायेगा |
हाँ नारी है तू , आदिशक्ति है तू ,
इसी आत्मविश्वास और हिम्मत की दास्ताँ को
हर शख्स बारी - बारी से अब दोहराएगा |

अंदाज़ अपना - अपना

 

मुस्कान ही हमेशा कुछ नहीं कहती |
आवाज से हर बात बयाँ नहीं होती |
अहसास आंसूंओं से भी बयाँ होते हैं |
उनकी भी अपनी एक जुबाँ होती है |
मन को गुदगुदाती खुशी हो ...
या हताश के हों पल |
आशा की आहट हो या ...
फिर आकांशा की हो धमक |
भय से डरकर ...
या सुख में रमकर ...
हृदय की गोद से ...
एक बूंद आँखों में आती है |
आँखे तो हर हाल में छलक उठने को ...
बेकरार सी हो जाती हैं |
हाँ भाव ही तो है जो धरते हैं झट से
आँखों में एक तरल रूप |
जो आंसू बनकर हर बात बयाँ कर जाते हैं |