क्या है ये सुकून



कैसी होती है ...ये सुकूने जिंदगी 
भूखे बच्चे को रोटी का निवाला 
खिलाकर देखो |
फिर भी न आये दिल में कोई अहसास ...
टपकते उसके आंसूंओं को
अपनों के साथ महसूस करके देखो |
मन जो महसूस कर रहा है

यही जिन्दगी का राज़ है
खुदा कि रहमत का 

ये जीता जागता कमाल है
मंदिर मस्जिद में जाने की
अब जरूरत ही न रही |
भूखे बच्चे के चेहरे में 

इबादते सुकून जो दिख गया |
फिर किसको खोजते फिर रहें हैं
हम भटक - २ कर दर - बदर ...
ऐसी सुकूने इबादत तो
हर गुजरते राह में देखो |
वो तो परख रहा है
हर रूप में पल - पल हमें |

बस उस अहसास को 
खुद में उतारकर कर देखो |