शुभ दीपावली


रुको मत की चलने का वक्त आ गया है |
उठो फिर की संभलने का वक्त आ गया है |
सबक लो दशहरे के दिन से तुम |
की बनके दिखाओ श्री राम से तुम |
बजाया था किसने सच्चाई का डंका |
जलाई बताओ किसने रावण की लंका |
आज भी दुनिया में उसका बोलबाला |
नज़र आता है दाल में आज भी काला - काला |
भरत , लक्ष्मण से नहीं मिलते भाई |
जहां देखो वही है आपस में हाथा - पाई |
अभी भी है कैद सितायें कितनी |
अभी भी आह भरती हैं बेवायें कितनी |
जलाओ तो लंका जुनूं की जलाओ |
अँधेरे दिलों को जरा जगमगाओ |
मिटाओ दिलों से नफरत और भेदभाव |
मोहोब्बत की रस्में सभी को सिखाओ |
चलो मिलकर फिर से प्यार का दीपक जलाओ |