वो बीते लम्हें


 
कितने प्यारे थे वो दिन ,
जब साथ तुम्हारे चलते थे |
कुछ  वादे तुमसे करते थे ,
फिर तोड़ के आगे बड़ते थे | 

दो पल का हँसना - रोना था ,
फिर रूठ के आगे बढना  था |
प्यारी - प्यारी बातों के साथ  ,
इक दूजे के संग  चलना था |

अब सपनों का सफ़र निराला है  ,
प्यारी बातों  का ताना- बाना है |
उन बीते दिनों के लम्हों का ...
मीठा सा एक फ़साना  है    |

वो पन्नों का जुड़ते जाना था  ,
एक प्यारी किताब बनाना था |
अब उन मीठी  यादों से ही ,
दिल को बहलाते  जाना था   |

आज  फिर से वो सौगात मिली ,
फिर यादों की बरसात हुई |
अब आप तो साथ न आये थे ,
यादों को अपने संग लाए थे |

अब दिल को , तो  बहलाना था |
यादों का सफ़र सुहाना था |
फिर से उन मिट्ठी यादों में ,
पंछी बन कर उड़ जाना  था |

जिंदगी तो  एक तराना  है |
बस प्यार से जीते जाना  है |
मदहोश करते  उन लम्हों में ,
खुद को भूल , बस जाना है |

कोई तो अपना होता



सारी सृष्टि नारी बिन अधूरी |
हर आस्तिव इस बिन अकेला |
हर पल वो आदमी के साथ  |
उस बिन आदमी कहाँ है साकार ?
दोनों के  मिलने से ही तो बना
ये प्यारा संसार|
पर न जाने इस बात से
इंसा क्यु करता है इंकार |
सबने अलग - अलग ठंग से .....
नारी से है प्यार लिया ...
पर उसकी झोली में तो हर पल
दर्द ही दर्द दिया |
सबने उसके दामन को.
आंसुओ से भरना चाहा  
पर तब भी उसने ...
उस घर की खातिर ही जीना चाहा |
ऐसा  नहीं की नारी शक्ति में  
कोई बल न हो मिला |
झाँसी की रानी भी तो 
उसी शक्ति की ... है प्रतिमा |
उसके अन्दर का  कोमल हृदय
उसे ये सब न करने देता है  |
अपनी हर भावनाओ को ...
त्याग दूसरों की इज्ज़त करता है |
नारी का  समर्पण ही तो ...
ये सब कुछ कहती  है |
इतना दर्द समेटे आँचल में
फिर भी सबके आगंन में 
खुशियाँ फैलाती है |
नारी की इस पीड़ा को 
अगर कोई समझ पाता |
उसके कोमल ह्रदय में भी 
बहारों सा चमन खिल जाता | 

उन जज्बों को सलाम


A good teacher must know how to arouse the interest of the pupil in the field of study for which he is responsible. He must himself be a master in the field of study and be in touch with the latest developments in the subject, he must himself be a fellow traveler in the exciting pursuit of knowledge…  – Dr. S. Radhakrishan 


चलो आज मिलकर उनके जज्बों को सलाम करते हैं |
जो बिना चाहत के बच्चों में जोश भरते हैं |
कहने को सारे जहां में गुरु है लेकिन ...
कुछ में ही तो ये हुनर देखने को मिलाता है |
जो अपने समर्पण से बच्चों के दिल में घर बनाते है |
अपने बुलंद होंसलों को बच्चों के दिल में भरते  है |
तभी तो हर बालक उसकी हर अदा पर सर नवाता है |
उसकी हर बात को वो खुदा का कलाम बुलाता  है |
जीवन में गुरु कहलाने भर से कुछ नहीं होता |
बच्चों को सांचे में  ढाले बिना तो कुछ भी नहीं होता |
सम्मान पाने के लिए सम्मान देना भी जरूरी है |
किसी के दिल में बसने के लिए त्याग भी जरूरी है |
बीज बो देने भर से फूल कहाँ खिलते हैं |
माली के समर्पण से बागबान महकते हैं |
आज मिलकर उन सभी  गुरुजन को हम शीश नवाते हैं |
जिनके  अहसास आज भी हमें रास्ते दिखाते हैं  |