वो तो जन - जन के दिल में बसता है |
प्रेम से उसका नाम हरपल जुड़ता है |
वो हर दिल की धडकन में रहता है |
उसके प्यार का अंदाज़ निराला है |
उसको तो न कोई जान पाया है |
जिसमें पाने की न कोई चाहत है |
देह से उसका कोई सरोकार नहीं |
तभी वो हर गोपी के मन में बसता है |
बदले में कोई चाहत न रखता है |
उसके प्यार में इतनी गहराई है |
जिसमें अपनापन ही सजता है |
उसने न किसी को खुद से बाँधा है |
ये तो राधा - मीरा का प्यार बताता है |
उसका मन गहन प्यार दर्शाता है |
यही तो प्यार की निर्मल भाषा है |
ये मित्र - सखी के प्यार को दर्शाता है |
जिसमें समर्पण हो ये सिखलाता है |
इनके प्यार में न कोई आशा है |
तभी ये बिन खौफ के आगे जाता है |
यही तो कृष्ण का रूप समझाता है |
यही सच्ची दोस्ती की परिभाषा है |
जो बिना शर्त के ओरों का हो जाता है |
तभी तो वो सबका कान्हां कहलाता है |