झिलमिल करते यह सूरज किरण |
गति डोल रहे हैं यह खग गन
ध्वनी से निकलता ------ जन गन मन ||
यह भरे हुए फूलों का बन
ऊँचे - ऊँचे हैं ये कानन |
है राष्ट्र प्रेम इनके भी मन
कह रहे भूमि पर दे दो तन ||
हैं उच्च शिखर में जो हिम गण
दे रहे प्रेरणा यह प्रतिक्षण |
क्या हुआ अगर मिटते हैं ...हम ,
सुविधा पा लेते अपने जन ||
यह वक्र घाटी में बहता जल ,
कहता है हमसे उछल - उछल |
यूँ पड़े हुए क्यु गति ...टल |
यह तो है वीरों का जन्मस्थल ||