मुझे तुमसे मोहब्बत है
अब कैसे तुझसे कहूँ मैं |
रात - दिन उसके ही
ख्यालों में जीता हूँ
ख्यालों में जीता हूँ
ये कैसे तुझसे बयाँ करूँ मैं |
चाह कर भी तुझेको न पा पाउ
अब ये दर्द किससे कहूँ मैं |
न जाने ये दिल का सफ़र
क्यु एसा होता है |
जिसे दिल चाहे वही क्यु
सबसे दूर होता है |
जिसके दीदार को हर पल
तडपती हैं निगाहें
वही निगाहों से क्यु
दूर होता है |
दूर होता है |
अब वो घड़ी आये न आये
दिल को हर पल
दिल को हर पल
उसका ही दीदार रहता है |
ना कहते ही उसे और ...
पास ले आता है |
मेरे कम उसके कितने
पास होता है ... |
मेरे कम उसके कितने
पास होता है ... |
कैसी होती है
ये दिल की लगी ?
जितना भी बहलाओ
ये दिल की लगी ?
जितना भी बहलाओ
उसके और करीब जाता है |
कितना भी दामन बचाओ
उससे ही लिपटता जाता है |