अजब कहानी है जिंदगानी



ये जिंदगानी भी ...........
एक अजब कहानी है ,
न जाने और किस किस ..........
को हमे ये सुनानी है !
जितना ही इसके करीब
हम जाना चाहते हैं !
एसा लगता है की इससे
और  दूर हम चले जाते हैं !
न ही ये हम तक ...........
खुद करीब आती है !
न ही ये हमको ..........
खुद से दूर जाने देती है !
न जाने हमसे ...........
क्या ये चाहती है !
ये तो बस नित ........ .
नये-नये खेल ही रचाती है !
जब देखो नया रंग
हमें ये दिखाती है !
उसी मै हमे बाँधती  ...........
चली जाती है !
अपनी जिंदगी तो ये ............
हममे रह कर जीती है !
हमारी जिन्दगी से ...........
हमे ही महरूम करती जाती  है !
जिंदगी का सफ़र............
 सच मै ही निराला है !
लगता हैं इसीलिए ...........
इसका नाम जिन्दगी दे डाला है !

क्रांति ही जीवन

      मनुष्य हर वक़्त  विवादों में घिरे रहना पसंद करता है क्युकी यही उसे आगे बड़ने की राह दिखाती है अगर वो एसा  न करे तो आगे का सफ़र उसके लिए मुश्किल हो जाता है | मानव का स्वभाव  ही कुछ  एसा  है की वो जितनी भी मेहनत करता है तो उसके पीछे  उसका अपना स्वार्थ होता  है  उसका अंदाज अलग हो सकता है पर  लक्ष्य सिर्फ एक की मुझे ख़ुशी कैसे मिलेगी ?  क्या करने से मिलेगी ? हम सब  इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं पर इस सत्य को अपनाने से इंकार करते हैं | जीवन में हम जितनी मेहनत करते हैं  हमें  सिर्फ वही वापस मिलता है लेकिन फिर भी हम किसी दुसरे का सहारा खोजते रहते हैं की शायद वो हमसे बेहतर हमारे लिए कर सकेगा | कहने का तात्पर्य यह है की जब सब कुछ  हमारे करने पर ही निर्भर  है तो फिर क्यु  न खुद आगे बड़  कर उसे अंजाम तक पहुचाया जाये |                            
                                                   अब राजनीति को ही ले लो जो कहती है की भविष्य में इकिसवीं सदी लानी है वो खुद यहाँ नहीं है तो इकिसवीं  सदी तो बहुत दूर की बात है जिनका आधार ही दूसरों  की मेहनत पर टिका हो वो हमे आगे कहाँ तक ले जायेंगे | हर नेता किसी न किसी ज्योतिष , महात्मा को अपना गुरु बनाये बैठा है जिसे अपने भविष्य की खबर नहीं वो हमारा भविष्य कैसे  सवार सकता है | जिसका सारा वक़्त अपने आप को सुरक्षित रखने में ही बीत जाता हो वो हमारी सुरक्षा का इंतजाम कैसे  जुटा पायेगी | उनका सारा समय अपने २ स्वार्थ  के लिए खींचा - तानी में ही बीत जाता है उनके लिए जनता के लिए समय निकल पाना कैसे  संभव हो सकता है हमें  तो इनकी इस मेहनत पर तरस खाना चाहिए की इतनी मेहनत के बाद भी कुछ  को ही सफलता मिल पाती है और हम हैं की ये सब  जानते हुए भी बार २ अपने भविष्य की बाग़ डोर इनके हाथों  में थाम देते हैं | जब ये तय है की मनुष्य सिर्फ अपने लिए ही जीता है तो फिर बार २ ये गलती क्यु करे मेहनत तो वो खुद करते हैं और उसका इनाम दुसरे  को सोंप देते हैं | हमे तो गर्व होना चाहिए की हमारी वजह से उनका जीवन इतना सुखमय व्यतीत  हो रहा है | राजनीति तो ऐसा  खेल है की जो इन्सान को कभी मिलकर रहने ही नहीं  दे सकती  वो सिर्फ और सिर्फ तोड़ सकती है उसका काम इन्सान को इन्सान से अलग करना है न की जोड़ना | वो धर्मो को कभी एक जुट रहने ही नहीं दे सकती उनका काम है इंसानों को धर्मो  में बाँटना और उनके बीच  में दूरियां  पैदा करना क्युकी अगर वो ऐसा  नहीं करते हैं तो हमारा विश्वास कैसे  जीत पाएंगे और अगर हमसब एक हो गए तो  शिकायत कीससे  होगी और फिर नेताओं  का क्या  काम तब तो हमारा अपना फैसला  और अपना जीवन होगा | राजनीति मनुष्य  को कभी विकसित होते देख ही नहीं सकती क्युकी जितना मनुष्य विकसित होगा , उतना ही उसे गुलाम बनाना मुश्किल हो जायेगा उतना ही उसे स्वतंत्र  होने से रोकना मुश्किल हो जायेगा | जरुरत सिर्फ अपने आप को   समझने की है की मैं  क्या हु और क्या चाहता हु जब मैं  हु तभी तो धर्म  है | हर धर्म  इन्सान को मिलकर रहने की बात कहता है  तो फिर आज देश में इतना शोर क्यु  मचा हुआ है लोग एक दुसरे को मार रहे हैं और दुहाई धर्म  की दे रहे हैं  तो ये कौन   सा धर्म  है जो ऐसा  करने की इज़ाज़त दे रहा है और हर घर हर रोज मातम मना  रहा है और इसे खेलने वाला बेखबर बैठा है , तो किस काम की वो राजनीति जिसके हाथ में इतने भरोसे से हम अपना जीवन सोंप देते हैं और समय आने पर वो हमारी रक्षा भी नहीं कर पाती | इनसब बातों  से तो इसमें इन सबका अपना ही स्वार्थ साफ़ -  साफ़ नज़र आता है | जब हम सब जानतें  है तो क्यु  न हम अपना जीवन अपने भरोसे जी कर देखे और  अपने जीवन को अपने आप खुबसूरत बनाये | 
                                                  स्वतंत्रता  एक क्रांति का नाम है वो हमे भविष्य में आगे ले जा सकती है क्रांति  तभी संभव  हो सकती है जब हम पुराने को छोड़ कर नए को अपनाने की  हिम्मत  कर सके पर ये सब  करना हमारे लिए बहुत मुश्किल काम है पर असंभव नहीं | इसका कारण  ये है की हम पुराने से अच्छी तरह से वाकिफ होते हैं और हम उसके अच्छे बुरे से भली भांति परिचित होते हैं इसलिए बार २ उसी तरफ बढ जाते हैं बेशक उससे हमे कितनी भी तकलीफ क्यु  न हो रही हो क्युकी  हमे उसकी आदत जो पड़ गई है |  नए को अपनाने में हमे घबराहट होती है क्युकी उसके बारे में हम कुछ  नहीं जानते इसलिए उसे अपनाने की  हिम्मत  ही  नहीं जुटा पाते और वही घिसी - पीटी  जिंदगी जीते चले जाते हैं और उसी में संतोष करते रहते हैं | जबकि संतोष में सुख नहीं बल्कि सुखी इन्सान में संतोष होता है | इसलिए हमें  अगर जीवन में क्रांति लानी है तो हमे पुराने का त्याग करके नए को धारण करना ही होगा |     
                                                  

जिंदगी सुख - दुःख की माला




हर एक बात की एक बात होती है !
जेसे हर दिन के बाद एक रात होती है !
बचपन तो हर बात से अन्जान होता है !
जवानी आते ही एहसास जवाँ होता है !
जवानी जाते - जाते  हम जो यु संभलते हैं !
हर बीती बात को याद करने लगते हैं !
एसे हम बीती यादों के संग मै चलतें हैं !
हर अच्छे ,  बुरे एहसासों से गुजरतें हैं !
जिन्दगी के इस सफर को पूरा करते हैं !
कई सपने इसमें बनते और  बिगड़ते हैं !
कई पहलु मै अच्छे तो कभी बुरे भी हम बनतें हैं !
कई रिश्तों से अन्जान भी हम रहतें हैं !
हर कोई अपने -अपने अंदाज़ से हमे परखता है !
लगता है हमसे सुन्दर जवाब की दरकार करता है !
जिन्दगी के हसीन रंगों मै कभी रंगते हैं ,
तो कभी बेरंग भी वहां से हम निकलते हैं !
जिंदगी का तो यही फलसफा है जो यारों ............
फिर हम सोच -सोच परेशान क्यु रहते हैं !
आज से जिंदगी को पक्के  धागे मै पिरोके फिर ............
सुख दुःख की प्यारी माला हम पहनते हैं !

मंजिल अभी दूर


कितनी प्यारी कितनी सुकोमल
छूने भर से खो देती रौनक ..........
सहमी - सहमी सी रहती है !
मुहँ से कुछ न वो कहती है !
न जाने केसी हवा चली .......
उसके संग ही वो बह निकली !
फिर कोमल कोमल पंखो से
साथ सफ़र वो ....करने  लगी !
कुच्छ शरमाई कुच्छ सकुचाई
दुनियां कि नज़रों से बचने .... लगी !
पाना तो  सब कुछ चाहती है !
पर पाने से घबराती है !
फिर हिम्मत नया जुटाती  है !
क़दमों से कदम मिलाती है !
फिर आगे वो बढ जाती है !
ये नन्हा सा प्रयास ही है !
जग को  पाने कि आस ही है !
देखो ये दुनियां .............
कब तक सहती है !
नारी कि इज्ज़त करती है ?
उसका संघर्ष निराला है !
कुछ पाने कि अभिलाषा है !
दिल नित नये ख्वाब सजाता है !
पर पूरा करने से घबराता है !
आप सबके साथ कि गुजारिश है !
इक छोटे से दिल  कि ये ख्वाइश है !

प्यारा सा संवाद



हर दम तो साथ  रहता है |
 माँ से ही वो कुछ  कहता है |
माँ भी तो सब समझ जाती है |
इशारों में  सब कुछ  बताती है |



अब थोडा और बड़ा वो होता है |
घुटनों के बल फिर  डोलता है |
माँ का दम तब निकल जाता है ,
जब वो थोडा सा भी रोता है |






अब स्कूल की तरफ वो बढ़ता  है |
माँ के पल्लू  से  फिर लिपटता है |
लगता है जेसे माँ से बिछड़ने का ...
हरदम उसे खौफ  सा  रहता है |





जब जवानी में  पांव वो रखता है |
यारों दोस्तों से मिलने लगता  है |
तब माँ के उस एहसास को...
थोडा - थोडा  वो खोने  लगता है |





 माँ का आशीर्वाद फिर से  पाता है |
घर में  प्यारी सी दुल्हन लाता है |
उसके साथ सुन्दर सपने देख ...
फिर नया संसार एक बसाता  है |

हर कोई प्रतिभावान


लेखक , कवि व् साहित्यकार
तो पहले भी कई हुए |
अपने - अपने विचारों से
सबने  पन्ने भी हैं भरे |
स्कूल , कालेजों मै ,
हमने भी उन्हें पढ़ा ,
पर क्या आज तक उनके
कहने पे कोई  चला ?
हर किसी ने अपनी ही बात का
अनुसरण  है  किया |
क्युकी हर कोई अपनी
दिल कि कहानी लिखता  है |
अपनी ही सोच को...
 ख़ाली कर ... आने वाली
सोच का स्वागत करता है |
 ये उसकी एक छोटी सी...
कोशिश ही तो  होती है |
यु समझो अपने साथ बीते...
लम्हों कि बात  होती है |
क्युकी ... इन्सान के सोच का
तो कोई अंत नहीं |
अगर कोई लिखने लगे तो
दिनकर , प्रेमचंद जी से भी कोई कम नहीं |
हर किसी के पास....
सोच का एक बड़ा खजाना है |
यु समझो सबने  अपने विचारों से
इतिहास को रचते  जाना है |