कोई तो अपना होता



सारी सृष्टि नारी बिन अधूरी |
हर आस्तिव इस बिन अकेला |
हर पल वो आदमी के साथ  |
उस बिन आदमी कहाँ है साकार ?
दोनों के  मिलने से ही तो बना
ये प्यारा संसार|
पर न जाने इस बात से
इंसा क्यु करता है इंकार |
सबने अलग - अलग ठंग से .....
नारी से है प्यार लिया ...
पर उसकी झोली में तो हर पल
दर्द ही दर्द दिया |
सबने उसके दामन को.
आंसुओ से भरना चाहा  
पर तब भी उसने ...
उस घर की खातिर ही जीना चाहा |
ऐसा  नहीं की नारी शक्ति में  
कोई बल न हो मिला |
झाँसी की रानी भी तो 
उसी शक्ति की ... है प्रतिमा |
उसके अन्दर का  कोमल हृदय
उसे ये सब न करने देता है  |
अपनी हर भावनाओ को ...
त्याग दूसरों की इज्ज़त करता है |
नारी का  समर्पण ही तो ...
ये सब कुछ कहती  है |
इतना दर्द समेटे आँचल में
फिर भी सबके आगंन में 
खुशियाँ फैलाती है |
नारी की इस पीड़ा को 
अगर कोई समझ पाता |
उसके कोमल ह्रदय में भी 
बहारों सा चमन खिल जाता | 

12 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

नारी तुम केवल श्रद्धा हो।

Rachana ने कहा…

झाँसी की रानी भी तो
उसी शक्ति की ... है प्रतिमा |
उसके अन्दर का कोमल हृदय
उसे ये सब न करने देता है |
अपनी हर भावनाओ को ...
त्याग दूसरों की इज्ज़त करता है |
नारी का समर्पण ही तो ...
ये सब कुछ कहती है |
इतना दर्द समेटे आँचल में
फिर भी सबके आगंन में
खुशियाँ भरती है |
नारी की इस पीड़ा को
अगर कोई समझ पाता
|उसके कोमल ह्रदय में भी
बहारों का चमन खिल जाता |
bahut khoob
rachana

Rakesh Kumar ने कहा…

भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
आत्मा का कोई लिंग नहीं होता.
प्रारब्धवश आत्मा नर शरीर में हो या
नारी,सत्-चित-आनंद स्वरुप ही है.
राम से पूर्व सीता का नाम लिया जाना
नारी के त्याग और महानता को ही दर्शाता है.

आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार, मिनाक्षी जी.

vidhya ने कहा…

बहुत सुन्दर दर्द भरा

Unknown ने कहा…

अपनी हर भावनाओ को ...
त्याग दूसरों की इज्ज़त करता है |
नारी का समर्पण ही तो ...
ये सब कुछ कहती है |
इतना दर्द समेटे आँचल में
फिर भी सबके आगंन में
खुशियाँ भरती है |


भावपूर्ण अभिव्यक्ति

मदन शर्मा ने कहा…

आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!!

विभूति" ने कहा…

बहुत ही मार्मिक रचना....

सागर ने कहा…

bhaavpurn rachna...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मन को छू जाने वाले भाव...

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ब्‍लॉग समीक्षा की 32वीं कड़ी..
पैसे बरसाने वाला भूत...

virendra ने कहा…

नारी का समर्पण ही तो ...
ये सब कुछ कहती है |
इतना दर्द समेटे आँचल में
फिर भी सबके आगंन में
खुशियाँ फैलाती है |
meenaakshee ji
aapkee bhaavmayee kavitaa ne barbas mujhe meree aamrapaalee yaad dilaa dee aur yaad hee aa gayeen ve shabdaawaliyaan -

naaree jeevan bhee kyaa jeevan , naaree karun kahaanee hai ,
payashwinee hokar bhee paatee do nayanon men paanee hai .
boond boond bankar naynon se jhartee rahtee abhilaashaa ,
naaree jeevan dukh hee dukh ,
aansoo naaree kee paribhaasaa .

poonam ने कहा…

bahut bhavpurn rachna

Udan Tashtari ने कहा…

नारी की इस पीड़ा को
अगर कोई समझ पाता |
उसके कोमल ह्रदय में भी
बहारों सा चमन खिल जाता |

एकदम सच!! बढ़िया रचना...