सुर , लय और ताल संग ,
एक ग़ज़ल गा रही है जिन्दगी |
कभी हंसा रही है जिंदगी ,
कभी रुला रही है जिंदगी |
पहलु में पल भर कोई ठहरता नहीं ,
ये क्या गजब ढा रही है जिंदगी |
सब अपनी 2 बात पर अड़े हैं
फिर भी निभा रही है जिंदगी |
न रहेगा यहाँ कोई अपना ,
ये समझा रही है जिंदगी |
इंसानी फितरत जान कर भी ,
हमें जीना सीखा रही है जिंदगी |
छुट जायेंगे सभी बारी - बारी ,
ये बता रही है जिंदगी |
पर जीना तो फिर भी है ,
हमें समझा रही है जिंदगी |
अपनी हर अदाओं से हमें ...
रिझाती जा रही है जिंदगी |
कहाँ चलना , कहाँ रुकना ,
रूबरू करवा रही है जिंदगी |
कभी हाँ - हाँ , कभी ना - ना ,
किये जा रही है जिंदगी |
कभी हंसा रही है तो ...
कभी रुला रही है जिंदगी |
6 टिप्पणियां:
सब अपनी 2 बात पर अड़े हैं
फिर भी निभा रही है जिंदगी |
सही कहा है आपने ..यह जिन्दगी न जाने इस संसार में किन - किन पड़ावों से गुजरती है किसी को क्या पता ..लेकिन जीवन में विरोधाभास हमेशा बना रहता है .....बहुत अर्थपूर्ण रचना .....आपका आभार
जीवन के खेल निराले मोरे भैया।
बहुत बेहतरीन!!!!
कभी हंसा रही है जिंदगी ,
कभी रुला रही है जिंदगी |
true we have ups and downs in our lives !!
lovely post.
Life has been beautifully defined.
bhut khubsurat hai andaz-e-zindgi...aur usse bhi jayda khubsurat zindgi ko shabdo me kahne ka andaz...
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