वो रात एक बार फिर से महक उठी होगी |
उसने जब चाँद के कानों में कुछ कहा होगा |
तपती धुप भी कुछ देर को ठहर गई होगी |
एक नज़र उसने इबादत की जो डाली होगी |
मैं जानती हूँ की हर राह पर तू मिलता है |
तेरी महक ही तो तेरे होने का सबब देती है |
ये गहरी रात इस बात का बनती है गवाह |
उस रात चाँद तेरी पलकों में छुप गया होगा |
मुझे गिला नहीं की , मेरे तस्सवुर में तू क्यु है |
गिला है की तेरे तस्सवुर में फिर मैं क्यु नहीं |
हरेक रात के अन्धेरें में आँखें खोजती है उसे |
तभी वो आकर आज मेरे ख्वाब सज़ा गया होगा |
मेरी तो हर रूह उसकी ही बख्शी हुई नेमत है |
तभी वो मुझको छु कर आगे चल दिया होगा |
23 टिप्पणियां:
मुझे गिला नहीं की , मेरे तस्सवुर में तू क्यु है |
गिला है की तेरे तस्सवुर में फिर मैं क्यु नहीं |
हरेक रात के अन्धेरें में आँखें खोजती है उसे |
तभी वो आकर आज मेरे ख्वाब सज़ा गया होगा |
कोमल और खूबसूरत भावनाओं से सजी सुन्दर रचना
मेरी तो हर रूह उसकी ही बख्शी हुई नेमत है |
तभी वो मुझको छु कर आगे चल दिया होगा |bahut laajabaab najm.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks
kya panktian likhi hain Meenakshiji aapne...hatprabh rah gaya...ek ek shab purnatwa ko prapt karte huye...
मैं जानती हूँ की हर राह पर तू मिलता है | तेरी महक ही तो तेरे होने का सबब देती है |
Behtareen'
vibrant and vivid expressions !!
man prasaan ho gaya pant ji //
मैं जानती हूँ की हर राह पर तू मिलता है |
तेरी महक ही तो तेरे होने का सबब देती है
bahut sundar
कोमल भावों से सजी ..
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
"मेरी तो हर रूह उसकी ही बख्शी हुई नेमत है |
तभी वो मुझको छु कर आगे चल दिया होगा"
मीनाक्षी जी,अत्यंत कोमल अहसासों से बनी .इतना समर्पण! मन्त्र-मुग्ध करती रचना जो दिल में ताजगी भर गई.
bahut accha minakshi G ase hi likhti rahe
कोमल भावो की सुन्दर प्रस्तुति।
हरेक रात के अन्धेरें में आँखें खोजती है उसे |
तभी वो आकर आज मेरे ख्वाब सज़ा गया होगा ...
wow Great creation Minakshi ji
.
रूमानी अभिव्यक्ति।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....
bhut khubsurat aur pyari rachna...
मैं जानती हूँ की हर राह पर तू मिलता है |
तेरी महक ही तो तेरे होने का सबब देती है |
प्यार का सुखद एहसास ....बहुत खूब
बेहतरीन रचना, रात के साये न जाने क्या कुछ छिपाये रहते हैं।
मुझे गिला नहीं की , मेरे तस्सवुर में तू क्यु है |
गिला है की तेरे तस्सवुर में फिर मैं क्यु नहीं |
Khoob kaha......Behtreen rachna...
प्रभावी सुन्दर रचना.वाह.
तुम तुम हो तो क्या तुम हो
जब हम नहीं तो क्या तुम हो ...
सुन्दर रचना !
"रात के साये न जाने क्या कुछ छिपाये रहते हैं।"
कौन करे रात का इंतज़ार,
यहाँ दिन में क्या नहीं होता?
meenakshi.sach me aap apne har post se lajabab kar dete ho...! har baar ek naye tarah ki rachna...pichhle se ek dum hat kar...
मेरी तो हर रूह उसकी ही बख्शी हुई नेमत है |
तभी वो मुझको छु कर आगे चल दिया होगा |
ab inn sabdo pe main kya comment dun...main iske kaabil hi nahi........
मेरी तो हर रूह उसकी ही बख्शी हुई नेमत है |
तभी वो मुझको छु कर आगे चल दिया होगा |
वाह लाजवाब खुबसूरत अशार
मेरी तो हर रूह उसकी ही बख्शी हुई नेमत है |
तभी वो मुझको छु कर आगे चल दिया होगा
वाह,बहुत सुन्दर
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
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