ये मेरा देश


इधर से उधर में छुप - छुप के जी जा रही  हूँ |
फिर हर दम देश की माला जपे जा रही  हूँ |
जब जलती है मासूम अपने ही घर में |
मैं रो - रोके फिर अपना देश कहे जा रही हूँ |
जुल्म करता है कोई और भरता है कोई |
दुसरे के गुनाहों की सज़ा काटे जा रही हूँ |
महंगाई की मार से हरपल घबरा  रही  हूँ |
फिर भी अपने देश की ही माला जपे जा रही  हूँ |
भ्रष्टाचार की गर्द में डूब रहा ये हरपल |
फिर भी उससे उम्मीदों की माला जपे जा रही हूँ |
मासूम बहनें और माएं रोंदी जाती है सरे राह |
मैं उनकी सजाओं की उम्मीदों में जगे जा रहीं हूँ |
बच्चे  सड़कों में सरे आम हैं मारे जाते |
में पुलिस से इसकी गुहार लगाए जा रही हूँ |
जब कोई  बात भी यहाँ सुलझती न दिखती |
फिर भी  मेरा देश - मेरा देश कहे जा रही हूँ  |

20 टिप्‍पणियां:

Dr Varsha Singh ने कहा…

जब कोई भी बात सुलझती न दिखती |
फिर से मेरा देश - मेरा देश कहे जा रही हूँ |

लाजवाब, आपकी सुन्दर लेखनी को आभार...

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

आपकी कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
जब कोई भी बात सुलझती न दिखती |
फिर से मेरा देश - मेरा देश कहे जा रही हूँ |

bahut sundar ,

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दुर्भाग्य के बादल हटेंगे, आशान्वित रहिये।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

mera desh !... bahut kuch kah diya

Rahul Singh ने कहा…

उलझने के साथ सुलझना भी चल रहा है.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

सारी बातें खरी-खरी ....

यथार्थ की भावात्मक प्रस्तुति ...

Vijuy Ronjan ने कहा…

Yah dard to mujhe bhi hai ki saari visangatiyon ke beech bhi ham ise apna desh kahte hain...

Bahut Behatreen prastuti.

Sadhana Vaid ने कहा…

समाज में व्याप्त कडवी हकीकतों की बखिया उधेड़ती एक बेमिसाल रचना ! मेरे देश की अब यही कुरूप तस्वीर होती जा रही है ! बहुत मार्मिक !

Anupama Tripathi ने कहा…

dhumil hai vatavaran .....
phir bhi vahi geet zubaan par sajaye rahiye .....
ham-tum thaan le to badlav avashya hoga ...!!

Atul Shrivastava ने कहा…

मौजूदा दौर की तस्‍वीर पेश करती सुंदर रचना।
शुभकामनाएं आपको।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

जब कोई बात भी यहाँ सुलझती न दिखती
फिर भी मेरा देश - मेरा देश कहे जा रही हूँ

कडवी सच्चाइयों की सुन्दर अभिव्यक्ति.

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

बेहद सुन्दर रचना.........
शुभकामनाओं सहित....
बधाई.....

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

यथार्थ अभिव्यक्ति है परन्तु प्रवीण पाण्डेय जी के वचनों पर भरोसा रखना चाहिए.

G.N.SHAW ने कहा…

समसामयिक सुन्दर तस्वीर ....सोंचने के लिए बाध्य करते है !

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

आशा ही जीवन है।

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भगवान के अवतारों से बचिए!
क्‍या सचिन को भारत रत्‍न मिलना चाहिए?

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हकीकत बयाँ करती अच्छी रचना

वाणी गीत ने कहा…

फिर भी मेरा देश तो कहना होगा ...हालातों की बेहतरी की उम्मीद रखते हुए !

वाणी गीत ने कहा…

नर से नारायण की विनती सहज स्वाभाविक है , वह सुनेगा जरुर देर सबेर !

Minakshi Pant ने कहा…

aap sabhi ka the dil se shukriya dost