जिंदगी एक प्रवाह

जिंदगी एक प्रवाह है 
हर पल बहने वाली 
न रुकी है 
न ही रुकेगी |
कभी दुखों की गठरी 
तो कभी खुशियों का पुलिंदा 
सबका अपना - अपना 
है नजरिया ...
न बदला है 
न बदलेगा 
ये एहसास हरपल  
एसा रहा है 
एसा ही रहेगा |
बाँधोगे ?
न बंधा है 
न बंधेगा |
हसीं ख्यालों में पलता है 
और पलता ही रहेगा |
इस प्रवाह को बहने दो 
जिओ और जीने दो |

9 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रवाह का आनन्द है जीवन।

राहुल सिंह ने कहा…

चरैवेति चरैवेति...

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

प्रवाह का आनन्द है जीवन।
bahut badiya

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

सच ज़िन्दगी एक प्रवाह ही है ....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

यही तो जीवन है ... आसानी से ये प्रवाह चलता रहे तो कितना अच्छा है ...

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

सही कहा आपने जिंदगी एक प्रवाह है जिसके साथ हम सबको भी चलना है।

सादर

Anupama Tripathi ने कहा…

इस प्रवाह को बहने दो
जिओ और जीने दो |

बहुत सुंदर ....ठहरे हुए ...कोमल मन के भाव ....
सार्थक विचार देती रचना....
बधाई ...मिनाक्षी जी ....!!

vijay kumar sappatti ने कहा…

सच ही लिखा है आपने, जीवन कि अपनी गति होती है और वो प्रवाह बनाए हुए रखती है ..

आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

Dorothy ने कहा…

सार्थक अभिव्यक्ति...आभार.
सादर,
डोरोथी.