जिंदगी एक प्रवाह है
हर पल बहने वाली
न रुकी है
न ही रुकेगी |
कभी दुखों की गठरी
तो कभी खुशियों का पुलिंदा
सबका अपना - अपना
है नजरिया ...
न बदला है
न बदलेगा
ये एहसास हरपल
एसा रहा है
एसा ही रहेगा |
बाँधोगे ?
न बंधा है
न बंधेगा |
हसीं ख्यालों में पलता है
और पलता ही रहेगा |
इस प्रवाह को बहने दो
जिओ और जीने दो |
9 टिप्पणियां:
प्रवाह का आनन्द है जीवन।
चरैवेति चरैवेति...
प्रवाह का आनन्द है जीवन।
bahut badiya
सच ज़िन्दगी एक प्रवाह ही है ....
यही तो जीवन है ... आसानी से ये प्रवाह चलता रहे तो कितना अच्छा है ...
सही कहा आपने जिंदगी एक प्रवाह है जिसके साथ हम सबको भी चलना है।
सादर
इस प्रवाह को बहने दो
जिओ और जीने दो |
बहुत सुंदर ....ठहरे हुए ...कोमल मन के भाव ....
सार्थक विचार देती रचना....
बधाई ...मिनाक्षी जी ....!!
सच ही लिखा है आपने, जीवन कि अपनी गति होती है और वो प्रवाह बनाए हुए रखती है ..
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
सार्थक अभिव्यक्ति...आभार.
सादर,
डोरोथी.
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