धर्म


बहस से बड़ी कोई बहस नहीं है ,                               
धर्म  से बड़ी कुछ  की जागीर नहीं है  |
ये दुनिया वालो की बनाई हुई  हस्ती है ,
इस पर कोई  बहस मुमकिन ही नहीं है ,
क्युकी , धर्म  से बड़ी कोई ज़ंजीर नहीं है  |
इंसानियत को पूजो इन्सान से प्यार करो |
क्युकी इससे महान कार्य दुनियां में ...
मेरे ख्याल से कोई और  नहीं है |
सब कुछ खत्म हो जायेगा दुनिया में 
पर दुसरे के लिए किया गया उपकार 
उसके दिल में आपका सम्मान कभी नहीं |
उसका नशा अपने अन्दर लाके तो देखो 
खुद के अन्दर इसकी आदत बनाके तो देखो ?
हो न जांए तुम्हें  भी उनसे मोहोब्बत तो कहना 
जरा इस नशे को आजमा के तो देखो |
किस कदर मासूम निगाहों से
हरदम वो तकतें हैं   |
हमारी तरफ हाथ बढ़ाके...
हमसे ही तो वो कुछ कहतें हैं |
क्या हममें उनकी आवाज़ 
सुन पाने का भी दम नहीं |
बढ़के हम उन्हें न थामें 
इतने तो गये गुजरे हम नहीं |
उनके चेहरे पे कुछ पल की 
मुस्कान ही गर हम ला दें  |
उनको उस दुनिया से ...
कुछ पल को बाहर निकाल  दे ,
ये अहसान भी कोई कम नहीं |
क्युकी उनकी ख्वाइशो का पुलिंदा 
हम सा हो ये भी तो मुमकिन नहीं |
हिम्मत तो उनमें है इतनी 
की हमने कभी परखी ही नहीं 
बस थोड़ी सी उनके अन्दर 
विश्वास की ही तो है कमी  |
हमें  तो बस प्यार के 
दो मीठे बोल ही  है कहना |
और उनकी जिंदगी को 
बस एसे ही है रंगीन करना |
क्या इस खुबसूरत धर्म से प्यारा 
कोई और धर्म भी हो है सकता   ...
हम तो कहते हैं इससे प्यारा तो ...
कोई और धर्म हो ही नहीं सकता  |

4 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

bahut achchhi baat ki aapne

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम के दो बोल केवल।

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहस से बड़ी कोई बहस नहीं है ,
धर्म से बड़ी कुछ की जागीर नहीं है |
ये दुनिया वालो की बनाई हुई हस्ती है ,
इस पर कोई बहस मुमकिन ही नहीं है ,

सटीक बात...सुंदर विचार।
गहन चिन्तन के लिए बधाई।

राहुल सिंह ने कहा…

मनसा, वाचा, कर्मणा को उचित राह दिखाए वही धर्म.