सोच
संग हमारे रहती हैं हमसे............
हरदम वो कुच्छ कहती है !
सुख दुख का लेखा करती है !
बिन हवाई बिन रेल टिकट ............
वो मस्त सफर मै रहती है !
दूर तलक वो जाती है !
धड़कन को तेज़ बडाती है !
नये नये सपनो के संग
उनमे रंग वो भर लाती है !
इक पल न वो रुक पाती है !
हर दम चलती ही जाती है !
चाँद सूरज को छु कर आ ..............
फिर नये एहसास जगाती है !
अच्छी सोच से अच्छा ..........
बुरी सोच से बुरा बस अपना .......
परिचय बतलाती है !
सबके दिल मै ये समाई है !
हर दिल की रानी कहलाई है !
इंसा के अन्दर छुप- छुप के
नित नए खेल ये रचाती है !
कोई न इसको जान सका !
बाहरी आवरण बस देख सका !
किसके दिल से ये क्या कहती है ..........
बस उसका दिल ये जान सका !
हँसना ही जिंदगी
किसी ने पुच्छा ...................... " तुम्हारे पापा के अंतिम शब्द क्या थे ?
वह बोला ................... " जब उनकी अंतिम घडी थी .........
तब माँ पास ही खड़ी थी .............................
समझे ?
इसलिए इसी का नाम जिंदगी है दोस्तों
इसलिए इसे हंस कर बिता दो !
अपनी - अपनी सोच
कोई तुमसे प्रेम करेगा , तो कोई घृणा !
कोई तुम्हारी प्रशंशा करेगा , तो कोई निंदा !
कोई तुम्हारा समर्थन करेगा , तो कोई खंडन !
संसार का यही विधान है ! तुम इस पर ध्यान न देते हुए इश्वर पर विश्वास रखो और सत्य के धरातल पर अपने मनोबल को ऊँचा रखते हुए केवल अपना कर्तव्य करते चले जाओ !
अंदाज़ अपना - अपना
प्यारा सा एक एहसास हु मैं
हर दम तुम्हारे साथ हु मैं
मुझसे दूर कहाँ तलक जाओगे
तुम्हारा साया हु मैं मुझे कहाँ छोड़ पाओगे |
अगर गौर से देखा जाये तो जिंदगी बहुत तेज़ी से करवट लेती जा रही है हर पल कुछ नया सा दिख रहा है जिंदगी इतनी तेज़ी से बदलेगी शायद किसी ने सोचा भी न होगा हर इन्सान हर पल कुछ नया करने में जुटा है | इंसा की सोच एक नई दिशा तय कर रही है हर तरफ भाग - दौड का शोर मचा हुआ है | किसी को किसी के एहसास बाँटने की फुर्सत ही कहाँ है बस दिल में एक डर है की कही मेरा प्रदर्शन किसी और से कम न हो जाये और मैं इस भागती हुई दुनिया के साथ चलने में पिछड़ न जाऊ | यहाँ तो हाल ऐसा लगता है जैसे दौड में हिस्सा तो लेना ही है अंजाम फिर जो भी हो मजिल मिले न मिले कोई बात नहीं | कौन पीछे छुट गया किसे ख़ुशी मिली किसे दर्द ... इसका एहसास तो शायद खत्म ही होता जा रहा है | गाँव अपना आस्तित्व गँवा कर शहर का रूप धर रही है , न जाने शहर में वो किसको ढूंड रही है | त्याग , प्रतीक्षा , वादे और एहसास तो जैसे गुजरे ज़माने की बात हो चली है | जब सब चीज़ में बदलाव आ रहा है तो प्रेम [ प्यार ] भी अपने मायने क्यु न बदलता उसने भी उसी रफ़्तार का हिस्सा बनना चाहा और उसी की रफ़्तार का रूप धर लिया | आज उसके भी मायने बदल गये हैं , प्रेम अब भावना और एहसास न रह कर यथार्थ में जीने लगा है उसका दायरा संकुचित न हो कर बढता चला जा रहा है उसके अंदाज़ ने नए मायनो को जन्म दिया है अब वो प्यार के साथ - साथ हर वो चीज़ पाना चाहती है जिससे उसकी रफ़्तार बनी रहे और वो इस भागती दुनिया से कदम मिला कर चल सके |
ये इशक की आग है प्यारे पर ...
अपना .. अपना अंदाज़ है प्यारे
अब देखो न प्यार करने का भी अपना - अपना अंदाज़ ही तो दीखने को मिलता है पर पुकारा प्यार ही जाता है | प्रेम का अर्थ किसी आस्तित्व को इस कदर चाहना है की उसके आस्तित्व में ही हर रंग घुलता नज़र आये | अपने को मिटा कर बस उसीके लिए जीना उद्देश्य बन जाये | फिर उस एहसास को अपने अन्दर भरकर महसूस किया जाये | अब भगत सिंह , राज गुरु , और ऐसे ही कई क्रांतिकारियों को पर अगर गौर किया जाये तो हम पाएंगे की ... किस कदर का जूनून था अपने देश के लिए क्या ये प्यार नहीं था तो क्या था ? जिसमे न अपनी फिकर थी न मरने का डर बस दिल में उसके लिए मर मिटने की चाह जिसमे खुद के लिए पाना कुछ नहीं सिर्फ देना ही देना था | और इस कदर की मोहोब्बत भी तो प्यार का ही रूप है | अब मीरा बाई को ही देख लो ... उसने क्या सोच कर कृष्ण से दिल लगाया कैसी चाहत थी ये की वो महलों को छोड़ कर सड़कों पर फिरती रही न कोई चाहत न ही किसी चीज़ का लालच बस उसे अपने दिल में बसा कर उसी से निस्वार्थ भाव से प्यार करती रही .... प्रेम एक पूजा है लगन है जहां दिल लगा दो बस उसी का हो जाता है |.
एसी लागी लगन मीरा हो गई मगन
वो तो गली - गली हरी गुण गाने लगी
महलो मै पली बन के जोगन चली
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी |
ये दुनिया भी एक अजीब सी नगरी है सब जानती है पर फिर भी अनजान बनी रहती है | ये जानते हुए की ये तो हम सब की परझाई है फिर उसे हमसे जुदा करने में लगी रहती है और अनजाने ही इसके एहसास को और मजबूत बाना डालती है क्युकी ये तो मानव का स्वभाव है की जिस चीज़ से उसे दूर करना चाहोगे वो उसके और करीब आता जायेगा | जो एहसास सबके पास है फिर वो हम सबसे अलग कैसे हो सकता हैं उस बात को झुठलाने से क्या फायदा जो किसी से जुदा हो ही नहीं सकती |अब अगर देखा जाये की जब से सृष्टि बनी है तब से ये हमारे साथ ही बना हुआ है जीवन में सब पीछे छुट जाता है , पर प्रेम का रंग हर रूप में हमारे साथ चलता रहा है कभी लैला मजनू , कभी श्री फरहाद तो कभी हीर राँझा बनके और आज वही एहसास हर घर के बच्चों के दिलो मै पल रहा हैं | पर उनका अंदाज़ अब वो न रह कर कुछ इस तरह हो गया है की उसने संचार माध्यमो का रूप ले लिया है जिसमे एहसास की भूमिका बस कुछ पलों की ही रह गई है वो प्यार शब्द तो जानते हैं पर सही मायने मै उसका अर्थ नहीं समझते | आज प्यार गली - मोहल्लो से निकल कर सडको , माल और मेट्रो का हिस्सा बनते जा रहें हैं | कुछ वक़्त तो एक दुसरे के हाथों में हाथ डाल कर घूमते हैं एक दुसरे से प्यार का इज़हार करते हैं और अगले ही पल टाटा - बाय बाय कर किसी और की राह तकते हैं |
ये समझना बहुत मुश्किल सा होता जा रहा है की कब सच्चा प्यार है और कब धोखा ? इसी सवाल के जवाब में जिंदगी बीतती जा रही है क्युकी जितना प्यार मजबूत बनाता है उतना ही प्यार हमे कमजोर भी बना देता है | आज समूची दुनिया को प्रेम मै रंगे देख कर बस यही ख्याल दिल में आता है |
सबके प्यार में तासीर हो सच्ची
सबके प्यार की ताबीर हो सच्ची |
खट्टी - मीठी सी यादें
कोई मिट्ठी सी आह्ट
दिल मै उतर रही थी !
बार - बार की दस्तक
हमसे कुच्छ कह रही थी !
ये कोंन था जो हमको
इशारे मै कुच्छ कह रहा था !
करीब न होते हुए भी
कुच्छ एहसास दिला रहा था !
कही ये वही तो नहीं
जो खवाबो मै हर दम आता था !
सपनो मै आ आ कर
फिर हमको खूब सताता था !
अपने एहसासों से ये ......
दुनिया रंगीन बनाता है !
सारे रिश्तो को तोड़ कर
फिर उसका होता जाता है !
प्रेम की डोली मै बिठा
फिर दूर कही ले जाता है !
अपने वादे कसमो से .......
हमको अपना बनाता है !
अपने मीठे जादू से ......
रंगों की सेज सजाता है !
जब हम रंग मै रंग जाते हैं
और सपनो मै खो जाते हैं !
तो दस्तक दे दे के फिर वो
हमे बेरंग करता जाता है !
हम अपनी किस्मत पर रोते हैं !
सपनो से दूर ज्यू होते हैं !
दिल को फिर समझाते हैं !
जीने के काबिल बनाते हैं !
अपने जख्मो मै मरहम कर ......
नई राह पर जाते है !
अपने एहसास दबाते हैं
किसी से कुच्छ न कह पाते हैं !
उन खट्टे - मीठी यादों से
दुनिया को सबक सिखाते हैं ! .
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