इस बार की बारिश इस बेजुबान ओरत की तरह ही लगी !
जो सारी जिन्दगी भर का दुख समेटे एक ही बार मै बरस गई!
उसकी बूंदों ने तो जेसे सबके मन को मोह लिया !
उन्ही बूंदों ने मिलकर धरती मै एक विकराल रूप लिया !
सारे जन- जन मै उसने अपने रूप का बखान किया !
अपनी मोहनी अदाओ से सबको अपने बस मै किया !
मत करो झेड़ खानी इससे की दर्द इतना भी न बढ जाये !
उसकी सारी संवेदना भयंकर रूप ना धर आये !
करो तुम हर दम स्वागत उसके प्यारे एहसासों का !
भर दो उसकी झोली हर दम प्यार भरे उपहारों का !
कर दो उसकी हर ख्वाइश को मालामाल तुम !
ले लो उससे हर दम बिन मांगे प्यार का भंडार तुम !