फूल


कितनी  प्यारी  कितनी  मोहक 
                     छूने भर से खो दे रौनक |
खुशबु से जग को महकाए 
                      भवरों का भी मन ललचाए  |
इंसा के  मन को ये भाती 
             दुल्हन को भी खूब सजाती  |
प्रभु  के चरणों में शीश नवाकर 
                     हर मौसम में  फिर से  खिल जाती  |
अपने रंगों से जग को महकाकर  
                     सारे जग में   प्यार फैलाती  |
हर घर - घर की देखो  है ये शान 
                    सब करते हैं इसका सम्मान |
मंदिर में भी ये ही जाती 
                     मस्जिद में भी शीश नवाती |
इसको न मतलब जात - पात से 
                    हर सांचे में है ये  ढल जाती |
मातम हो तो भी आ जाती |
                शादी  को भी खूब सजाती |

देखो इसमें दीखता कितना संयम 
                टूटकर डाली से  भी खुशियाँ है लुटाती |
कितनी प्यारी कितनी मोहक 
                    छूने भर से खो दे रौनक  |

खुशबु से जग को महकाती 
                      भवरों का भी मन ललचाती   |

{ मोक्ष }



आज फिर एक हस्ती हमारी जिंदगी से विदा हुई !
जिसने कई सालो तक हमे संजोया वो हमसे जुदा हुई !
फिर से उनका ख्याल हमे अन्दर तक दर्द मै डुबो गई !
घर मै झाई उदासी बार बार उनकी यादे ताज़ा कर गई !
आज फिर से जीवन मै उनके अध्याय का अंत हुआ !
भगवान फिर से इन्सान के स्वागत के लिए तैयार हुआ !
भगवान की इस अदा के तो हम पहले से हैं कायल !
पर इस राज़ से तो हम आज भी अन्जान ही रहे !
इस वक़्त मै उनके करीब न जा सकी फिर भी  मगर ,,
हर वक़्त उनकी याद मुझे उनका एहसास करती रही !
मेरी भगवान से सिर्फ आज ये गुजारिश है की ,
जो जगह { मोक्ष } सबसे खुबसूरत है उन्हें नसीब हो जाये

माँ

                                        
ये मेरे मालिक तेरा हमपे ये करम हो गया !
तुने अपनी जगह माँ का जो हमको साथ दिया !
 तू भी जनता था की अकेले तो हम न रह पाएँगे 
इसलिए चुपके से माँ बनके हाथ थाम लिया !
जिंदगी के हर पल में उसने हमारा साथ दिया !
इसलिए जब दर्द  उठा तो माँ का ही जुबाँ ने नाम लिया !
माँ ने तेरा ये  काम बहुत खूबसूरती से कर  दिया !
तेरी ही तरह हम सबको अपना गुलाम कर दिया !
दोनों के एहसानों को तो अलग ना हम कर पाएंगे !
इसलिए उससे लिपट कर तेरे और करीब हम आ जायेंगे ! 

खुदा

 

तेरी रहमत का मुझको कोई गिला नहीं है ये खुदा !
तेरे अंदाजे ब्यान के तो कायल हैं हम सभी  !
तेरे इतने करीब होके भी तुझसे दूर क्यु हैं हम !
तेरी इस हसीं अदा से आज भी वाकिफ क्यु नहीं है हम !
ये हम  जानते की सब कुच्छ तेरे रहमो कर्म पे है !
फिर क्यु  आपस में ही  लड़- झगड़ रहे हैं हम !
इसका एहसास तू सबको करा दे ये मेरे मालिक !
तेरे ही बनाये बन्दों में अक्ल  की थोड़ी कमी क्यु है!
एक बार फिर से आ कर ये एहसास जगा जा तू !
शायद वो भूली याद फिर से कोई कमाल कर जाये !
और तेरी रोज़ की परेशानियों का कुच्छ हल निकल आये !                                                                                                                                                            

नोजवान



जुडो तो हरदम उससे जो हर बात से अनजान हो !
  उसको गड़ दो येसे जो देश के हित में नाम हो !
    हो सकता है वो इंसा कुच्छ पल को बहक गया हो !
    हमारी छोटी भूल से उसकी सारी  जिंदगी न बर्बाद हो !
    उसकी गलती तो उसको बाद में सबक सिखाएगी !
    हमसे हुई बेरुखी से  तो उनकी जान पे बन जाएगी !
    विनती है इसलिए युवावर्ग को उस हाल में ना जाने दो !
   हर पल इनको प्यार दो , एहसास दो और  समान दो !
   कोई बाहरी शक्ति इनका दुरपयोग न कर पायेगी !
   इनकी तरफ बड़ने से पहले ही थर -थर थराएगी !
    मुझको तो  इस युवावर्ग पर बहुत ज्यादा  विश्वास है !
    लगता है जेसे ये सब ही सुख देव, भगत और सरदार हैं !

१० मिनट १० गोलिया और सारी दिल्ली झावनी मै तब्दील

  '' १० मिनट १० गोलिया और सारी दिल्ली झावनी मै तब्दील  '' कहने और सुनने मै कितना आसन सा लगता है ये सब ,  पर पत्रकारों का ये  काम है रोज़ी रोटी है, लिखना तो पड़ेगा ही नहीं तो देश में हो रहे गति विधियों का पता  केसे चल पायेगा ! ये हमारे देश के वो नोजवान हैं जो जान हथेली मै रख कर ये सब खबर हम तक पहुचाते हैं और हम अपने घर मै बैठ कर सुबह की चाय के साथ इसका आनंद उठाते हैं ! कल जेसे ही हमने भी कुच्छ इसी अंदाज़ मै चाय के कप के साथ ये खबर पड़ी दुख तो हुआ पर उतना नहीं जिनके साथ ये हादसा हुआ होगा जितना वो मिनट मै १० गोलियों ने उनके साथ हकीकत  मै किया होगा ! क्या हो गया है हमारे देश की जनता को की सिर्फ दो लोग थोड़े २ समय मै हमारे देश के अलग २ कोने मै हलचल सी मचा देते हैं और वो कोई और नहीं हमारे ही देश मै रहने वालो मै से होते हैं अगर ये भी कह दिया जाये की हमारे ही देश के नागरिक तो ये भी गलत नहीं हो होगा  और हम इतनी बड़ी तादात मै उन्हें कोई सबक नहीं सिखा पाते और इसी कमजोरी का फायदा वो हर बार उठाते हैं और हम दुसरो की इंतजार मै रह कर उन्हें आगे बढ कर रोक भी नहीं पाते ! ये कोई और नहीं हमारे ही देश का एक एसा युवावर्ग है जो हमारी वजह से समय न दे पाने की वजह से किसी येसे लोगो के  पास पहुँच गई है जिनका मकसद सिर्फ दहशत फेलाना और अराजकता फेलाकर देश को कमजोर बनाना है ! और हमारा एसा युवावर्ग जो अपनी भावनाओ को किसी के सामने रखने मै हिचकिचाता  है अपनी परेशानी को किसी से बाँट नहीं पाता उस  युवावर्ग का इस्तेमाल एसे  लोग बखूबी उनकी भावनाओ से खेल कर करते हैं जिनका अंदाज़ा उन्हें उस वक़्त चलता है जब वे अपना सब कुच्छ गवां बैठते हैं ! क्युकी उस वक़्त का गरम खून और और लालच उनकी आखो मै थोड़ी देर के लिए पर्दा कर देती है और बिना सोचे समझे किसी भी अंजाम तक पहुँचने के लिए तैयार हो जाते हैं क्युकी उनकी नीव इतनी कमज़ोर होती है की वो किसी के सामने आने से घबराते हैं और अपनी कुंठित  भावनाओ का बदला वो जनता से लेने के लिए ये रास्ता चुन लेते हैं और जब होश आती है तो बहुत देर हो गई होती है ! जिसकी नीव ही इतनी कमजोर हो जो खुल कर हमारे सामने आने से पहले अपनी सुरक्षा  के बारे मै सोचता हो वो हमसे ताक़तवर केसे हो सकता है होता तो वो भी हममे  से एक ही  है तो क्यु  न हिम्मत से मिलकर उसका सामना करे और देश के प्रति हम भी अपना फ़र्ज़ अदा करे ! इसी घटना के दोरान एक व्यक्ति ने कहा , की वो २ लोग थे जिन्होंने गोलिया चलाई जब मैने उन्हें देखा तो मै पत्थर ले कर उनकी तरफ भगा और वो भाग खड़े हुए कितना जोश था इन शब्दों मै अगर उस के साथ मिलकर कुच्छ और लोग हिम्मत दीखते तो शायद इस तरह की वारदातों मै कमी आ जाये ! इस बात से ये बात तो साफ़ है की मरने का खोफ तो उनमे भी उतना ही है जितना हम लोगो मै तो हम भी क्यु न उन्ही की तरह हिम्मत से काम ल़े 
                                                                                जब भी एसी घटना होती है हम दुसरे देशो पर उंगली उठाना शुरू कर देते हैं बाहर  झांकने से पहले हमे अपने घर अपने देश के नागरिको पर नज़र डालनी चाहिए !  रामायण मै एक बहुत  ही सुन्दर पंक्ति लिखी गई है  '' घर का भेदी लंका ढाहे '' सुनने मै बहुत बुरा लगता है पर ये शब्द हकीकत बयान भी करता है ! जब तक हम अपने देश की खबर बहार जाने से नहीं रोकेंगे तब तक एसी वारदातों को होने से कोई नहीं रोक सकता !  क्युकी दूसरा देश तो सिर्फ योजना बनाता  हैं और उसी  देश के नागरिको का इस्तेमाल उसी के देश मै करता है और इसका शिकार बनते हैं हमारे   देश के वही भोले भाले युवावर्ग जो अपनी बात किसी से नहीं कह पाते हैं और उन्ही की भावनाए दाव पर लग जाती हैं ! वह युवा कोई और नहीं आपके या हमारे ही घर का सदस्य होता है बस हमे उन्ही का विश्वास जितना है उन्हें प्यार दुलार से बड़ा करना है उनके अन्दर अच्छे २ संस्कारो को जनम देना है जिससे वो गलत राह पकड़ने से पहले अच्छे और बुरे का फर्क कर सके वो हर सदस्य की भावनाओ को समझ सके और एक दुसरे से अपनी बात को कहने की हिम्मत कर सके हमे जरुरत सिर्फ और सिर्फ उन सदस्यों की तरफ ध्यान देना हैं जो आज के युग मै ५ या ६ लोगो से बना है अगर हम इनकी परवरिश अच्छे संस्कारो से करते  हैं तो फिर हम सभी परिवारों  को जोड़  कर एक अच्छे देश , अच्छे राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं और ये २ मिनट मै १० गोली का काम हमेशा के लिए तमाम कर सकते हैं !