मोक्ष

जिंदगी के नियम को न आज तक तोड़ पाया कोई !
आज फिर एक हस्ती हमारी जिंदगी से विदा हुई !
जिसने कई सालो तक हमे संजोया वो हमसे जुदा हुई !
फिर से उनका ख्याल हमे अन्दर तक दर्द मै डुबो गई !
घर मै झाई उदासी बार बार उनकी यादे ताज़ा कर गई !
आज फिर से जीवन मै उनके अध्याय का अंत हुआ !
भगवान फिर से इन्सान के स्वागत के लिए तैयार हुआ !
भगवान की इस अदा के तो हम पहले से हैं कायल !
पर इस राज़ से तो हम आज भी अन्जान ही रहे !
इस वक़्त मै उनके करीब न जा सकी फिर भी  मगर ,,
हर वक़्त उनकी याद मुझे उनका एहसास करती रही !
मेरी भगवान से सिर्फ आज ये गुजारिश है की ,
जो जगह { मोक्ष } सबसे खुबसूरत है उन्हें नसीब हो जाये !

सपनो का संसार

आज का युवा वर्ग काफी रचनात्मक और उत्साह से भरा हुआ है कभी २ वो विध्वंसकारी और अवसादग्रस्त भी हो जाता है ! वो देश में अपनेआप को स्थापित करने के लिए अपने लिए जगह तलाश कर रहा है पर मिडिया हर मोड़ पर उसे दिशाहीन बना दे रही है ! घर और बहार की दुनिया में जब वो काफी अंतर देखता है तो कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ हो जाता है ! देश के नेताओ का भ्रष्टाचार में लिपत होना मिडिया के इतने प्रचार के बावजूद भी उनपर किसी प्रकार की कारवाही न होना , आतंकवाद का ख़तम न हो पाना ! कश्मीर में शहीद  होने वाले शहीदों की कवर स्टोरी न बनाने की जगह फ़िल्मी हस्तियों की कवर स्टोरी बनाना ये सब उसे अपने आपसे यह पूछने पर मजबूर कर देते हैं की आखिर वो किसे अपना हीरो माने ! अपने दिल में वो बहुत से सपने लेकर चलता है की उसे लेकर वो उन उचइयो  को छु सके जिनके वो सपने देखता है !
                                                                  कितना सरल सा शब्द है ये सपना  ? लेकिन सही मायनो में ये अपने आप में बहुत बड़ा स्थान रखता है इसका सम्बन्ध मानव से एसे जुड़ा है जिसके बिना वो अधुरा सा हो जाता है ! सपनो के बिना तो उसका सफ़र आगे बढ ही नहीं सकता हर इन्सान सपने देखता है उनमे से कुच्छ तो हम पुरे कर देते हैं और कुच्छ सपने ही रह जाते हैं ! हर सपना उसे इन्सान के लक्ष्य की और आगे बड़ने में सहायता करता है उसे होंसला देता है और हम उन उन्चियो को छु लेते हैं जहां तक पहुँचने का हम सोचते भी नहीं हैं सपने दो तरह के होते है एक जो हम बंद आँखों से देखते हैं और एक वो जो हम खुली आँखों से देखते हैं खुली आँखों से देखे हुए सपनो का हमारे जीवन से गहरा तालुख होता है !
                                                                आज का युवावर्ग तरल सतह पर टिके सपने देखती है क्षितिज के पार अनजाने भविष्य के सपने ! आज के युवावर्ग में इतना जोश है की वह सिर्फ सपना देखती ही नहीं उसे पूरा करने के लिए वो कुच्छ भी कर  गुजरने को तैयार होती है उसके अन्दर इतना जोश है की उसे आगे बड़ने के बाद रोकना नामुमकिन है जरूरत है तो सिर्फ उसे सही राह में बड़ने की दिशा दिखाने की जिससे वो अपने सपनो को सही दिशा दिखा सके ! सपने रंगों की तरह होते हैं" संसार सपनो का केनवास" बस मन में विश्वास ले कर उसे अपने रंगों से भरते जाना है ! अगर हम कल्पना नहीं करेंगे तो उसे हासिल केसे कर पाएंगे , सपने देखना खुशहाल जीवन को आगे बड़ाने की सीडी जेसा है ! अक्सर लोग सपने दीखने वालो पर पहले हँसते हैं पर जब उसे पूरा होने पर ये शब्द कहना की ये मेरा" बचपन का सपना" था तो सपनो की महता पर यकीं करवा  ही देता है !
              जीवन में सबसे पहले कुच्छ पाने की चाह मन में उठती है उसे पूरा करने के लिए लगन परिश्रम और द्रिड निश्चय का होना बहुत जरुरी है ! यही सब हमे सपनो को साकार करने में मदद  करती है ! जयादातर सफल लोग इसी राह में चल कर आगे बड़ते हैं . उनके अलग डंग से सोचने और कुछ कर गुजरने की चाह ही उसे उन बुलादियो तक ले जाती है ! एक स्थान में बैठ कर खाली सपने देखने से कुच्छ हासिल नहीं होता उसे पाने के लिए मेहनत करना बहुत जरुरी  है  एसा सपना तो पानी के बुलबुले के समान होता है जो कुछ ही देर में ख़तम हो जाता है ! सपना देखो तो नदी के बहाव की तरह उस अंजाम तक पहुचो ! जब वो अपने जगह से शुरू होती है तो बहुत छोटे से स्थान से निकलती है और चलते २ उसका विस्तार बढता चला जाता है ! सपने भी हमारे जीवन की एसी ही मजबूत कड़ी है जो सब कुच्छ बदलने की ताक़त रखती है अगर जरुरत है तो सिर्फ सही दिशा और हिमत करने की !
                       "  आँखों में सपने मन में बंधन और आसमान में उड़ने की चाह " यही है युवावस्था ! युवा सपने गरम लहू के समान होते हैं ,वे देश की धमनियों और शिराओ में दोड़ते हुए उसे भीतर ही भीतर बदल डालने की क्षमता रखते हैं ! दुनिया की हर क्रांति  से पहले बेहतेर भविष्य की कल्पना ही लोगो के शारीर में गतिमान होते रहे होंगे ! क्रांतिकारियों और रचनात्मक सपनो में फरक सिर्फ इतना है की क्रांतिया गर्जना करती है और रचनात्मक सपने देश में बहुत धीरे से बदलाव लाती है ! युवा मन के सपने बसंत की तरह होते हैं जो दबे पाव आता है और देश के भविष्य को बदल डालता है और सारा देश नई तकनीक नई समृधि और विकास के रंगों में रंग जाता है !युवा सवपन देश को अहिंसक डंग से बदले का मादा रखता है जरुरत है सुकरात जेसे एक एसे अच्छे मरगदर्शक की जो उन्हें सही राह दीखा सके जो उनके विचारो को सही दिशा  दे सके क्युकी  मानव मन तो बंजर भूमि की तरह है उसमे जेसा बीज हम बोयेंगे वेसा ही प्राप्त करेंगे ! आज देश में एसे ही लोगो की जरुरत है जो नई प्रतिभाओ को  सही राह में लेजाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर सके !
                                         आजका नोजवान एक सक्षम देश बनाने का सपना देखता है दरअसल हमारी युवा पीडी महज सपने देखती नहीं बल्कि रोज यथार्थ से लडती है उसके सामने भ्रष्टाचार , आरक्षण का बिगड़ता सवरूप और महंगी होती शिक्षा जेसी ढेरो समास्याए  हैं इस चुनोती से भरी दुनिया में उसे अपने को स्थापित करने के लिए संकल्प के साथ आगे बढना है और अपने भविष्य को सवारना हैं क्युकी हर आने वाला  वक़्त अपने साथ चुनोतिया ले कर चला है कभी युद्ध तो कभी प्राक्रतिक आपदाए लेकिन केसा भी समय क्यु न आ जाये हमारे भीतर के सपनो को हमसे कोई नहीं झिन सकता ___ मै धरती मै पैदा होने वाले हर इन्सान को परणाम करती हु क्युकी हर इन्सान मै बरगद के पेड़ बनने की क्षमता नज़र आती है ! जो अपने सपनो के दवारा कभी भी साकार कर सकता है !                                

क्रांति ही जीवन

मनुष्य हर वक़त विवादों में घिरे रहना पसंद करता है क्युकी यही उसे आगे बड़ने की राह दिखाती है अगर वो एसा न करे तो आगे का सफ़र उसके लिए मुश्किल हो जाता है ! मानव का स्वभाव  ही कुच्छ एसा है की वो जितनी भी मेहनत करता है तो उसके पिच्छे उसका अपना ही स्वार्थ  है ! उसका अंदाज अलग हो सकता है पर  लक्ष्य सिर्फ एक की मुझे ख़ुशी केसे मिलेगी   क्या करने से मिलेगी ! हम सब  इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं, पर इस सत्य को अपनाने से इंकार करते हैं ! जीवन में हम जितनी मेहनत करते हैं हमे सिर्फ वही वापस मिलता है लेकिन फिर भी हम किसी दुसरे का सहारा खोजते रहते हैं की शायद वो हमसे बेहतर हमारे लिए कर सकेगा ! कहने का तात्पर्य यह है की जब सब कुच्छ हमारे करने पर ही निर्फर है तो फिर क्यु  न खुद आगे बड़  कर उसे अंजाम तक पहुचाया जाये !
                                                      अब राजनीति को ही ले लो जो कहती है की भविष्य में इक्सवी सदी लानी है वो खुद यहाँ नहीं है तो इकिस्वी सदी तो बहुत दूर की बात है जिनका आधार ही दुसरो की मेहनत पर टिका हो वो हमे आगे कहाँ तक ले जायेंगे ! हर नेता किसी न किसी ज्योतिष , महात्मा को अपना गुरु बनाये बैठा है जिसे अपने भविष्य की खबर नहीं............ वो हमारा भविष्य केसे  सवार सकती  है ! जिसका सारा वक़्त अपने आप को सुरक्षित रखने में ही बीत जाता हो वो हमारी सुरक्षा का इंतजाम केसे जुटा पायेगी ! उनका सारा समय अपने २ सवार्थ के लिए खिंचा तानी में ही बीत जाता है उनके लिए जनता के लिए समय निकल पाना केसे संभव हो सकता है हमे तो इनकी इस मेहनत पर तरस खाना चाहिए की इतनी मेहनत के बाद भी कुच्छ को ही सफलता मिल पाती है और हम हैं की ये सब  जानते हुए भी बार २ अपने भविष्य की डोर इनके हाथो में थाम देते हैं ! जब ये तय है की मनुष्य सिर्फ अपने लिए ही जीता है तो फिर बार २ ये गलती क्यु करे मेहनत खुद करते हैं और उसका इनाम दुसरे  को सोंप देते हैं ! हमे तो गर्व होना चाहिए की हमारी वजह से उनका जीवन इतना सुखमय व्यतीत  हो रहा है !राजनीति तो एसा खेल है की जो इन्सान को कभी मिलकर रहने ही  न दे वो सिर्फ और सिर्फ तोड़ सकती है उसका काम इन्सान को इन्सान से अलग करना है न की जोड़ना ! वो धर्मो को कभी एक जुट रहने ही नहीं दे सकती उनका काम है इंसानों को धर्मो  में बाँटना और उनके बिच में दूरियां  पैदा करना क्युकी अगर वो एसा नहीं करते हैं तो हमारा विश्वास केसे जीत पाएंगे ! और अगर हमसब एक हो गए तो  शिकायत कीससे होगी और फिर नेताओं  का क्या  काम तब तो हमारा अपना फेसला और अपना जीवन होगा ! राजनीति मनुष्य  को कभी विकसित होते देख ही नहीं सकती क्युकी जितना मनुष्य विकसित होगा , उतना ही उसे गुलाम बनाना मुश्किल हो जायेगा उतना ही उसे सवतंत्र होने से रोकना मुश्किल हो जायेगा ! जरुरत सिर्फ अपने आप को   समझने की है की में क्या हु और क्या चाहता हु जब में हु तभी तो धरम है ! हर धरम इन्सान को मिलकर रहने की बात कहता है  तो फिर आज देश में इतना शोर क्यु  मचा हुआ है लोग एक दुसरे को मार रहे हैं और दुहाई धरम  की दे रहे हैं  तो ये कोंन  सा धरम है जो एसा करने की इज़ाज़त दे रहा है और हर घर हर रोज मातम मना  रहा है और इसे खेलने वाला बेखबर बैठा है ,तो किस काम की वो राजनीति जिसके हाथ में इतने भरोसे से हम अपना जीवन सोंप देते हैं और समय आने पर वो हमारी रक्षा भी नहीं कर पाती ! इन सब बातों  से तो इसमें इन सबका अपना ही सवार्थ साफ़ नज़र आता है ! जब ये बात सही लगती है तो क्यु  न हम अपना जीवन अपने भरोसे जी कर देखे और  अपने जीवन को अपने आप खुबसूरत बनाये !
                                         स्वतंत्रता  एक क्रांति का नाम है वो हमे भविष्य में आगे ले जा सकती है क्रांति  तभी संभव  हो सकती है जब हम पुराने को छोड़ कर नए को अपनाने की हिम्मत  कर सके पर ये सब  करना हमारे लिए बहुत मुश्किल काम है पर असंभव भी नहीं ! इसका कारण  ये है की हम पुराने से अच्छी तरह से वाकिफ होते हैं हम उसके अच्छे बुरे से भली भांति परिचित होते हैं इसलिए बार २ उसी तरफ बढ जाते हैं बेशक उससे हमे कितनी भी तकलीफ क्यु  न हो रही हो पर हमें  उसकी आदत जो पड़ गई है ! नए को अपनाने में हमे घबराहट होती है क्युकी उसके बारे में हम कुच्छ नहीं जानते इसलिए हिम्मत नहीं जुटा पाते और वही घिसी - पीटी   जिंदगी जीते चले जाते हैं और उसी में संतोष करते रहते हैं ! जबकि संतोष में सुख नहीं बल्कि सुखी इन्सान में संतोष होता है ! इसलिए हमे अगर जीवन में क्रांति लानी है तो हमे अपनी  गलत आदतों  का त्याग करके नये को धारण करना ही होगा ! क्युकी जो हमारे समाज और हमे परेशां कर रही हो एसे को अपने साथ जोड़ कर रखने से क्या फायदा उसे तो त्याग कर अच्छे  को ही ग्रहण करने मै समझदारी है !