सारा संसार नारी बिन अकेला |
हर आस्तिव इस बिन अधूरा |
हर पल वो आदमी के साथ |
उस बिन इंसा कहाँ है साकार ?
उससे मिलकर ही तो बना
ये प्यारा सा संसार|
पर न जाने इस बात से
इंसा क्यु करता है इंकार |
सबने अलग - अलग ठंग से .....
नारी से है प्यार लिया ...
पर उसकी झोली में तो हर पल
दर्द ही दर्द दिया |
सबने उसके दामन को.
आंसुओ से भरना चाहा
पर तब भी उसने ...
उस घर की खातिर ही जीना चाहा |
ऐसा नहीं की नारी शक्ति में
कोई बल न हो मिला |
झाँसी की रानी भी तो
उसी शक्ति की ... है प्रतिमा |
उसके अन्दर का कोमल हृदय
उसे ये सब न करने देता है |
अपनी हर भावनाओ को ...
त्याग दूसरों की इज्ज़त करता है |
नारी का समर्पण ही तो ...
ये सब कुछ कहती है |
इतना दर्द समेटे आँचल में
फिर भी सबके आगंन में
खुशियाँ भरती है |
नारी की इस पीड़ा को
अगर कोई समझ पाता
|उसके कोमल ह्रदय में भी
बहारों का चमन खिल जाता |
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