प्यारी सी दुआ


जिंदगी तो उसने खबसुरत  दी थी ,
जीना हमे आया ही नहीं !
खुशिया तो उसने हजारो दी थी ,
गमो से उभरना  हमे आया ही नहीं !
खुशनुमा पल उसने बेपन्हा दिए थे ,
वक़्त से लम्हे चुराना हमे आया ही नहीं !
प्यार तो उसने हमे बेहद किया था ,
हमे प्यार निभाना आया ही नहीं !
सोचते  तो थे की अब संभल जायेंगे ,
वक़्त ने तो पलटना कभी जाना ही नहीं !
अब तो  फकत फ़रियाद ही ये करते हैं ,
उसके गुलशन मै बाहर भर दे तू !
न इस कदर गुनाह करेंगे  कभी ,
इस बार तो खुदाया  माफ़ कर दे तू !

कोई टिप्पणी नहीं: