तेरी रहमत का मुझको कोई गिला नहीं है ये खुदा !
तेरे अंदाजे ब्यान के तो कायल हैं हम सभी पर !
तेरे इतने करीब होके भी तुझसे इतने दूर क्यु हैं हम !
तेरी इस हसीं अदा से आज भी वाकिफ क्यु नहीं है हम !
ये जानते हुए की सब कुच्छ तेरे रहमो कर्म पे है !
फिर क्यु आपस में ही लड़ झगड़ रहे हैं हम !
इसका एहसास तू सबको करा दे ये मेरे मालिक !
तेरे ही बनाये बन्दों में अकाल की थोड़ी कमी सी क्यु है
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